मेरे ज़ख्मों का होना
उनकी समझ के परे है
सिर्फ कह देना की हाँ
हम समझते है बहुत नहीं है
उनकी समझ के परे है
सिर्फ कह देना की हाँ
हम समझते है बहुत नहीं है
मैं अपेक्षा भी नहीं रखती अब
के उन्हें दिखे वह रेखा जो
मेरे गाल पे मुझे महसूस होती है
अब कुरेदने से भी डरती हूँ जिसे
के उन्हें दिखे वह रेखा जो
मेरे गाल पे मुझे महसूस होती है
अब कुरेदने से भी डरती हूँ जिसे
वो कैसे जानोगे के क्यों
वहां बाजू पे अब तक भी
काँच किरचता है सूखे ज़ख्म में
जब मैं खुद नहीं जानती क्यों
वहां बाजू पे अब तक भी
काँच किरचता है सूखे ज़ख्म में
जब मैं खुद नहीं जानती क्यों
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