Thursday, September 19, 2019

रहने दो!

तुम रहने दो
हाँ! रहने ही दो
मेरा साथ देना
साथ तैरना तुम्हारे
लिए मुमकिन नहीं
मैं तैरना ही नहीं
उड़ना भी चाहती हूं

मगर तुम्हारे पैरों
में पत्थर बंधे हैं
झूठे शिष्टाचार और
खोखली मान्यताओं के
भारी भरकम पत्थर
जिनकी ज़जींरो को मैं
नहीं खोल पाऊँगी

कोई नहीं खोल पाएगा
सिवाय खुद तुम्हारे
अपना वजूद खोकर
वापिस वो ढूढता है
जिसका वजूद पनपा हो
बरगद के नीचे
कुछ नहीं पनप सकता

तुम रहने दो
बस रहने दो!