मेरी सब शरारतों का गवाह
मेरी उम्र से बस कुछ ही बड़ा
इसकी बाँहों में खेली मैं बढ़ी
इसकी राहों पे गिरी और संभली
ये मेरे बचपन का दोस्त
ये मेरी जवानी का साथी
इसके फूलों की खुशबू मेरी
इसके पतझर के रंग मेरे अपने
हर मोड़ में कोई किस्सा सुहाना
हर ईमारत में मेरा हिस्सा पुराना
इसकी हवाएं मेरी कहानी बांचती
इसके पानियों में मेरे दर्द के घोल
ये शहर मुझे भूल नहीं पायेगा
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