Saturday, July 4, 2015

Tum

तुम्हारी याद दिल के एक कोने में अपना घर बनाए बैठी है
के मेरा दिल उस ही का घर बन के रह गया
बाकी जगह खाली ही पड़ी है

कई नये बाशिंदे दस्तक देते हुए  दिल में घर करना चाहते है
मगर ये है कि तुम्हे ही ले के बैठा है
मैं आज़ाद होना भी नही चाहती

पर फिर उस अधूरेपन क्या करूँ
जो तुम्हारे होकर भी होंने का एहसास
हर पल मेरे इसी दिल के हर कोने में भर देता है

तुम लौट नही सकते हर शख्स मुझे ये समझता है
मैं नही समझा पाती उन्हे कि  लौट के तो वो आता है
जो कहीं जा भी सका हो, तुम तो गये ही नही

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